मेरे ख्यालों

मेरे ख्यालों, मिजाज़ बदलो अपना,
अब रुख मोड़ लो अपना,
उम्मीद है तुम्हारी हमसफ़र,
खौफ से रिश्ता थोड़ लो अपना

मेरे ख्यालों, बंद कोठरी की आदत छोड़ दो,
खुली वादिओं में घूमने की आदत डालो,
झिज्को नहीं हदों से तुम,
तस्सवुर के पंख लगा कर आसमान में उड़ने की आदत डालो

मेरे ख्यालों, मुश्किलों में मौका ढूँढो,
अँधेरे में रास्ता ढूँढो,
मंजिल तो कभी न कभी मिल ही जाएगी,
गर हर कदम पे उसके निशाँ ढूँढो

टिप्पणियाँ

रंजन (Ranjan) ने कहा…
मेरे ख्यालों, मुश्किलों में मौका ढूँढो,
अँधेरे में रास्ता ढूँढो,
मंजिल तो कभी न कभी मिल ही जाएगी,
गर हर कदम पे उसके निशाँ ढूँढो...


बहुत खूब... लगता है.. यहाँ बहुत कुछ पढने को मिलेगा यहाँ...
Sunil Kumar ने कहा…
दिल की गहराई से लिखी गयी एक सुंदर रचना , बधाई

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